Monday, April 19, 2010

सबसे रोमांचक मैच "शशि थरूर वेर्सेस ललित मोदी"


लीजिये एक बार हम फिर गये कुछ लिखने या यूँ कहिये , कि दुखड़ा बताने अपने भारत के राजनीति और कानून कादरअसल अभी कुछ दिनों से चल रही शशि थरूर , (पहले सम्मान सहित इनका नाम लिखती हूँ ,"डॉ.शशि थरूर,भारत सरकार के विदेश राज्य मंत्री") और आईपीएल के कमिश्नर ललित मोदीजी के बीच तनातनी ने मेरे हाथों को कुछ लिखने के लिए विचलित कर गया अब ऐसा कुछ अलग तो मै लिखने नहीं जा रही हूँ , जो आप सबको नहीं पता होगा इसके बारे में लेकिन इस बात पर जरुर ध्यान दीजियेगा कि दो साल बीत गए आईपीएल मैच को होते हुए , लेकिन कभी कोई ऐसा मसला नहीं उठा, लेकिन जैसे ही हमारे देश के राजनीतिज्ञ ने इसमें एंट्री मारी, तैयार हो गया एक गरमागरम मसला तैयार, जिसे मीडिया ने बहुत बढ़िया तरीके से गार्निश कर के परोसाऔर तो और सुनंदाजी कि कहानी ने बढ़िया वाला ट्विस्ट ला दिया जिसने इसे जनता के बॉक्स ऑफिस पर हिट करा दिया अब बात आती है ललित मोदीजी की, आरोप लगा कि, इन महानुभाव ने टैक्स नहीं भरा,और सलाह आई कि आईपीएल मैच को बंद करा दिया जाये या फिर इसे भारत सरकार को सौंप दिया जाये, अब कोई इन सलाहकारों से पूछे ,कि अच्छे-खासे, हंसते-खेलते आईपीएल को इतनी बड़ी सजा क्यूँ दी जा रही है और रही बात मैच बंद करने कि तो, अब बताओ भाई ललित जी की हरकत की सजा भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को क्यों दी जा रही है और उन खिलाडियों को जिनको इस आईपीएल ने पहचान दी,जिन्हें उनके राज्य क्रिकेट बोर्ड वालो ने नहीं पूछा। और अगर ललितजी से इतनी ही परेशानी है, तो उनके स्थान पर किसी भूतपूर्व क्रिकेट खिलाडी को कमिश्नर बना दिया जाये, मुझे तो नहीं लगता की भारत सरकार को आईपीएल सौंपने में कोई समझदारी है,क्यूंकि इतने विभाग तो संभल नहीं रहे हैं हमारी सरकार से , उसके ऊपर एक और बोझ!!!! तो भाई हमारी आवाज़ उन सलाहकारों तक तो पहुँचने वाली है नहीं, "क्यूंकि बात तो ट्विट्टर से पहुंचती है"!!!!! ,इसलिए और ज्यादा कुछ कहना बेकार है , खैर जब तक कोई फैसला नहीं आता तब तक हम आनंद उठाते हैं , आईपीएल के इस सबसे रोमांचक मैच का जिसका नाम है "शशि थरूर वर्सेस ललित मोदी"

Monday, April 12, 2010

"कंडीशन अप्लाई "


कई बार हमने सुना है और देखा भी है , की वृक्ष हमारे मित्र हैं और सच भी है। लेकिन जैसे सभी आफर पर कंडीशन अप्लाई का बोर्ड लगा होता है, ठीक वैसे ही वृक्षों पर भी हैमैं नहीं कहती की ऐसा सबके साथ है, पर हमारे साथ है एक दिन घर की बालकनी में बैठे हुए मेरे मन में कुछ ऐसा ही विचार आयादरअसल , हमारे घर के सामने चार अशोक के पेड़ हैं, काफी लम्बे और हरे-भरेगर्मियों के मौसम में जब ये पेड़ सूर्य देवता के प्रकोप मतलब उनकी भयंकर धूप की छाया से हमें बचाते हैं, तो साक्षात भगवान् विष्णु नजर आते हैं, (ऐसा इसलिए कह रही हूँ की अक्सर टी.वी प्रोग्राम्स में मैंने देखा है कि सारी चिंता दुःख परेशानी से भगवान् विष्णु ही हमें बचाते हैं )। लेकिन ठण्ड आते ही जब इनकी यही आदत "टू बी ........................" रहती है, तो इन्ही वृक्षों में "शनि देव" के दर्शन हो जाते हैं ये तो हुई मजाक कि बात, लेकिन जब हम इसे अपनी रोजमर्रा कि जिंदगी से जोड़कर देखें तो लगता है कि, कि पूरी लाइफ-साइकिल इन दो मौसमों कि तरह हैहमारा परिवार इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैएक समय ऐसा होता है, जब हम अपने माँ बाप पर पूरी तरह निर्भर होते हैं और एक समय वो भी होता है जब हमारे माँ बाप हम पर निर्भर होते हैंये जो दो समय होते हैं दो मौसमों कि झलक दिखला देते हैं जब माँ- बाप हमें जिंदगी कि धूप से बचाते हैं , तो वो हमें भगवान् से बढ़कर नजर आते हैं, लेकिन जब वो हमसे कुछ आशा करते हैं, तो वही माँ-बाप ठण्ड में पड़ी ओस कि बूँद नजर आते हैं और यह लगने लगता है, कि वो खुशियों कि रोशनी हम तक नहीं आने दे रहे हैं पर हमें अपनी सोच को बदलना होगा, अपनी जिम्मेदारियों को समझना पड़ेगा और अपने माँ-बाप के लिए "कंडीशन अप्लाई ..........................." का बोर्ड हटाना होगा...............

"कथा या व्यथा हमारे संविधान की"


आज क्लास में जब बात हुई , "संविधान " की , तब मेरी सोच का दायरा इंच मात्र ही सही लेकिन बढ़ गया और कुछ लिखने के लिए प्रेरित कर गया ।
बात शुरू हुई थी हमारे यहाँ के रोज होने वाले पुलिस केसेस , नए- नए नियमों के बनने, उनमे संशोधन होने और फिर भी क़ानून को ठेंगा दिखाते लोगों की । बातों ही बातों में पता चला की ब्रिटेन एक ऐसा देश है जहाँ पर कोई लिखित संविधान नहीं है, फिर भी शायद वहा के लोग भारत के महान नागरिकों की अपेक्षा काफी आगे और सुधरे हुए हैं।
एक हमारा देश जहाँ का संविधान सबसे लम्बा चौड़ा है, अगर कहा जाये तो सबसे बड़ा लिखित संविधान है, सबसे ज्यादा समय लगा जिसे बनने में और सबसे कम समय लगता है इसमें संशोधन होने में और उससे भी कम समय लगता है इसमें बनाये गए नियमों के टूटने में !!!!
फिर भी हम महान हैं। अक्सर भारत के कुछ उच्च वर्ग या कहा जाये महान वर्ग के महान लोग कहते हैं की भारत २० सालों में विकसित देशों की लिस्ट में शामिल होगा, सबसे बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा , अरे भाई!!! लेकिन इसमें भी सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की जहाँ किसी नए नियम, कानूनों और छोटे - छोटे प्रस्तावों को पारित होने में २० साल लग जाते हैं , वो २० सालों में इतना महान बन कैसे पायेगा !!!!!! लगता तो नहीं लेकिन अगर ऐसा होता है तो ये तो महानता की सारी हद पार हो जाएगी और ऐसी हद के पार होने का हमें बेसब्री से इंतजार रहेगा ।
खैर इतना कहने को तो मैंने भी कह दिया लेकिन लिखते लिखते ही ख्याल आया की क्या मै उन लोगों से अलग हूँ जो कहते तो हैं आदर्श भरी बातें , लेकिन खुद ही इन्हें भुला देते हैं और उत्तर आया, वही जाना पहचाना "नहीं"।
तो कुल मिलकर इतना कहने का हक तो मुझे भी नहीं है लेकिन अपने ही संविधान के आर्टिकल १९(a)"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" का पालन करते हुए कह दिया। आशा करुँगी खुद से और आपसे की इस एक्ट के अलावा अन्य भी एक्ट्स का पालन करेंगे और सोच के साथ -साथ अपने देश को भी महान बनाने में मदद करेंगे ।