Friday, October 15, 2010

" अनजाने से रिश्ते "


बड़े अनजाने होते हैं ये रिश्ते ,
ख़ुशी और गम का पुलिंदा होते हैं ये रिश्ते,
कभी मिटटी के घरौंदे से ढह जाते हैं रिश्ते,
तो कभी आँखों पलकों सा साथ निभाते हैं ये रिश्ते,
आंसुओं में बिखरते ये रिश्ते.....
कलाईयों से निकलते लहू से बह जाते ये रिश्ते...
कभी दो बातों में बनते ये रिश्ते....
कभी बिन कुछ कहे टूट जाते ये रिश्ते.......
सितारों की लड़ी से ये रिश्ते........
जिंदगी की लय पर चलते घडी से ये रिश्ते..........
कभी मुस्कान देते...
कभी रुला देते ये रिश्ते...........
टूटते बनते , संभलते ये रिश्ते......
कोई न समझ पाया है इनकी कहानी.....
इसमें बसी मोहब्बत .......
इसमें बसी जुदाई.......
कभी लगते अनजाने.........
कभी लगते फ़रिश्ते.........
ऐसे अपरिभाषित होते हैं ये रिश्ते.............

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